Ladki Jisne Bandar Se Shadi Ki : Lok-Katha (Assam)

लड़की जिसने बन्दर से शादी की : असमिया लोक-कथा
एक बार की बात है कि एक लड़की नदी पर नहाने और पानी भरने गयी। उसने नहाने के लिये अपने कपड़े उतारे, उनको किनारे पर रखा और नहाने के लिये पानी में चली गयी। जब वह नहा रही थी तो एक बन्दर आया और उसके कपड़े उठा कर भाग गया।

लड़की ने बन्दर का पीछा किया और चिल्ला कर बोली — “ओ बन्दर, रुक जाओ, मेरे कपड़े वापस करो।”

बन्दर बोला — “अगर तुम मुझसे शादी करोगी तभी मैं तुम्हारे कपड़े वापस करूँगा।”

लड़की यह सुन कर हैरान रह गयी। वह बोली — “यह तुम क्या कह रहे हो? मैं तुमसे शादी कैसे कर सकती हूँ? मैं एक लड़की हूँ और तुम बन्दर।”

बन्दर बोला — “ठीक है। मत करो शादी मुझसे। मैं भी तुम्हारे कपड़े नहीं दूँगा।”

लड़की बेचारी यह सुन कर बहुत ही परेशान हुई पर वह कुछ कर नहीं सकती थी। आखिर थक हार कर वह उस बन्दर से शादी करने को तैयार हो गयी। शादी करने के बाद वह बन्दर उसको अपने घर ले गया।

जब बन्दर उस लड़की को अपने घर ले जा रहा था तो रास्ते में उस लड़की ने बन्दर से पूछा — “तुम मुझे खिलाओगे क्या?” बन्दर बोला — “मैं तुम्हारे लिये लोगों के खेत से चावल चुरा कर लाऊँगा वही तुमको खिलाऊँगा।”

इस तरह वह लड़की बन्दर के साथ रहने लगी। बन्दर उस लड़की के लिये लोगों के खेतों से मक्का और चावल चुरा कर लाता था। वह उसी को पकाती थी और खाती थी।

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वह लड़की उस बन्दर के साथ रहती जरूर थी पर वह हमेशा यही सोचती रहती कि किस तरह वह बन्दर के घर से भाग जाये। एक दिन जब उसका बन्दर पति बाहर गया हुआ था तो उसने उसकी बूढ़ी माँ को जो उसी घर में रहती थी मार दिया। उसने उसकी खाल निकाल ली और खुद उसको पहन कर बैठ गयी। जब बन्दर घर वापस आया तो उसने माँ को देख कर उससे पूछा — “माँ, मेरी पत्नी कहाँ है?”

उसकी पत्नी जो उसकी माँ बनी बैठी थी बोली — “बेटा, मुझे क्या मालूम तेरी पत्नी कहाँ है, कहीं भाग गयी होगी।”

यह सुन कर बन्दर पति बहुत गुस्सा हुआ और बोला — “तुमको नहीं पता कि मेरी पत्नी कहाँ भाग गयी? अच्छा तो यह है कि तुम भी भाग जाओ।”

और उसने उसको डंडे से काई बार पीटा।

लड़की यह सुन कर बहुत खुश हुई और बोली — “ठीक है, यदि तुम मुझे इस घर में नहीं देखना चाहते तो मैं अभी इस घर से चली जाती हूँ।”

और यह कह कर वह लड़की जितनी तेज़ भाग सकती थी उतनी तेज़ वहाँ से भाग ली।

भागते भागते वह अपने भाइयों के घर आ पहुँची और सारा हाल उसने अपने भाइयों को बताया। यह सब सुन कर उसके भाई भी बहुत गुस्सा हुए और बहिन के बन्दर पति को अपनी बन्दूक से गोली मारने चल दिये पर वह बन्दर पति उनको कहीं मिला ही नहीं सो वे उसको बिना मारे ही वापस लौट आये।

कुछ दिनों बाद उस लडकी के बच्चा हुआ। अब था तो वह बन्दर का बच्चा ही न, इसलिये वह बन्दर जैसा ही था।

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लड़की के भाइयों को अपनी बहिन का यह बन्दर बच्चा फूटी आँख नहीं भाता था। वे उसको मारना चाहते थे मगर लड़की का तो वह अपना बच्चा था इसलिये वह उनको उसे मारने नहीं देती थी।

धीरे धीरे वह बन्दर बच्चा बड़ा हो गया। एक दिन उसकी माँ ने कहा — “मेरे बेटे, अब तू बड़ा हो गया है। अब तुझे जंगल चले जाना चाहिए और अपने पिता के पास ही रहना चाहिए।”

यह सुन कर वह बन्दर बच्चा जंगल चल दिया। वह पहाड़ियों के पास आराम करता था, पेड़ों पर चढ़ता था पर बोलता नहीं था। जिस दिन वह बन्दर बच्चा जंगल की तरफ चला उसके जाने के कुछ देर बाद ही उसकी माँ ने जिन मशीन से कपास साफ करनी शुरू की।

जब उस मशीन की आवाज बन्दर बच्चे के कानों में पड़ी तो वह बोला — “ओह मेरी माँ अकेली कपास साफ कर रही है।” यह सोच कर वह बहुत दुखी हो गया और तुरन्त ही घर की तरफ दौड़ चला।

बन्दर बच्चे की माँ को भी अपने बेटे की बहुत याद आ रही थी पर वह अपने भाइयों के डर से अपने बन्दर बच्चे को साथ रखने में डरती थी। सो जब उसका बेटा घर आया तो वह उसको देख कर तो बहुत खुश हुई पर फिर जंगल भेजने पर मजबूर हो गयी। अगले दिन उसने फिर बन्दर बच्चे को जंगल भेज दिया और उस दिन उसने कपास साफ करने वाली मशीन नहीं चलायी। सो बन्दर का बच्चा भी जब पेड़ पर चढ़ा तो उसे जिन की आवाज नहीं सुनायी दी और वह फिर हमेशा के लिये जंगल की तरफ चला गया।

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(सुषमा गुप्ता)

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