Kaua Ladki : Lok-Katha (Kashmir)

कौआ लड़की : कश्मीरी लोक-कथा
एक बार की बात है कि दो कुम्हार पतियों की दो स्त्रियाँ कोई खास मिट्टी लेने के लिये जंगल में गयीं जो उनके कुम्हार पतियों को कुछ खास बरतन बनाने के लिये चाहिये थी। उन्होंने अपने अपने छोटे बच्चों को अपने पीठ पर बाँध रखा था।

जब वे उस जगह पहुँची जहाँ वह मिट्टी थी तो उन्होंने अपने अपने छोटे बच्चों को जो एक लड़का था और एक लड़की थी वहीं नीचे बिठा दिया ताकि वे एक दूसरे के साथ खेल सकें और वे अपनी अपनी टोकरियाँ उस मिट्टी से भरने लगीं।

एक कौए और एक काइट चिड़िया ने यह देख लिया कि वहाँ क्या हो रहा था सो उन दोनों ने नीचे उड़ान भरी और वे दोनों बच्चों को ले उड़ीं। काइट चिड़िया लड़के को ले गयी थी सो उसने तो उसे मार दिया और कौआ लड़की को ले गया। उसने उसे जंगल के एक दूर के हिस्से में ले जा कर एक पेड़ के खोखले तने में रख दिया।

वहाँ जा कर लड़की रोई नहीं बल्कि उसको वहाँ कुछ मजा ही आया। सो वह वहाँ हँसने लगी और उस चिड़िया के साथ खेलने लगी। चिड़िया को भी उससे प्यार हो गया। वह उस बच्ची को खाने के लिये गिरियाँ ला कर देती फल ला कर देती रोटी के बचे हुए टुकड़े ला कर देती। कभी कभी वह उसे माँस भी ला कर देती जब उसे वह मिल जाता। धीरे धीरे लड़की बड़ी होने लगी और सुन्दर भी।

एक बार इत्तफाक से एक बढ़ई जंगल के उस हिस्से में लकड़ी काटने आया। लड़की उससे बोली — “सलाम। मेरी इच्छा है कि तुम मेरे लिये एक चरखा बना दो। मैं यहाँ अकेली हूँ मैं चाहती हूँ कि मैं कोई काम करूँ।”

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बढ़ई ने पूछा — “पर तुम यहाँ हो ही क्यों। तुम्हारा घर कहाँ है। क्या तुम्हारे पास इन चीथड़ों के अलावा और कोई कपड़ा नहीं है जो तुमने ये पहन रखे हैं।”

लड़की ने जवाब दिया — “तुम मुझसे कुछ और मत पूछो बस मुझे एक चरखा बना दो। मैं केवल उसी से खुश हो जाऊँगी।” सो बढ़ई ने उसके लिये एक चरखा बना दिया और कौआ कहीं से उसके लिये एक तकली और कुछ रुई चुरा लाया। बस अब उस लड़की के पास सब कुछ था।

कुछ दिनों बाद ही वहाँ का राजा शिकार खेलने के लिये उस जंगल में आया तो वह उस पेड़ के पास से गुजरा जिसके पास यह लड़की रहती थी। तो वहाँ उसने किसी के सूत कातने की आवाज सुनी।

उसने अपने नौकरों से कहा — “इस अकेली जगह में कौन रहता है। मुझे किसी के सूत कातने की आवाज सुनायी पड़ रही है। जाओ और देख कर आओ कि यह कौन हो सकता है।”

काफी ढूँढने को बाद उसके नौकरों को एक लड़की एक पेड़ के खोखले तने में बैठी मिली जहाँ बैठ कर वह चरखा चला रही थी। वे उसको पकड़ कर राजा के सामने ले आये।

राजा ने उसके बारे में सब कुछ मालूम किया और उसकी कहानी और सुन्दरता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उससे अपने महल चलने के लिये और उससे अपनी पत्नी बन कर रहने के लिये कहा।

राजा की छह पत्नियाँ पहले से ही थीं अब यह कौआ लड़की उसकी सातवीं रानी हो गयी। उसकी सब रानियों के अलग अलग महल थे और अलग अलग दासियाँ थीं।

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एक दिन राजा ने सोचा कि सब रानियों के हुनर का इम्तिहान लिया जाये सो उसने उन सबको उनका अपना अपना कमरा सबसे अच्छा सजाने का हुकुम दिया।

उसकी बड़ी छह पत्नियाँ तो साधारण तरीके से अपना कमरा सजाने में लग गयीं।उन्होंने कई तरह की तस्वीरें और सजावट का सामान खरीदा। गुलाब के इत्र से अपने कमरे की दीवारें पोंछी। पर उसकी सातवीं पत्नी ने इस बारे में अपने प्यारे कौए की राय पूछी। चिड़िया ने कहा — “तुम बिल्कुल परेशान न हो।” कह कर वह वहाँ से तुरन्त ही उड़ गया और अपनी चोंच में एक जड़ी बूटी दबा कर लौटा।

वह उसने उसे ला कर दी और कहा — “लो यह जड़ी बूटी लो और इसको पीस कर अपने कमरे की दीवारों पर मल दो तो वे दीवारें सोने की तरह से चमक जायेंगीं।”

लड़की ने ऐसा ही किया तो उसका कमरा तो सोने की तरह से दमक उठा। उस पर तो किसी की नजर ही नहीं ठहरती थी। जब राजा की दूसरी पत्नियों ने यह सुना तो वे तो बहुत जल उठीं। हालाँकि उन्होंने अपने अपने कमरे गुलाब के इत्र से धोये थे उनमें सुन्दर मँहगे कालीन लगाये थे बहुत शानदार फूलों के गुलदानों से सजाये थे पर फिर भी उनके कमरे उस सातवीं रानी के कमरे से सुन्दरता में उसका सौवाँ हिस्सा भी नहीं लग रहे थे।

उन्होंने उससे पूछा — “तुमने अपने कमरे को इतना सुन्दर बनाने के लिये क्या किया?”

पर कौआ लड़की ने उन्हें कुछ नहीं बताया।

जब राजा ने अपनी छहों बड़ी रानियों के कमरे देख लिये तो वह उनसे बहुत खुश हुआ। फिर वह कौआ लड़की के कमरे में आया तो उसको देख कर तो वह खुशी और आश्चर्य से भर गया। उसने उसको अपनी पटरानी बना लिया और बाकी सबको भूल गया।

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राजा की इस नजरअन्दाजी ने दूसरी रानियों के दिल में उनकी सातवीं रानी के प्रति जलन और बढ़ा दी। हालाँकि वे पहले से ही बहुत बुरी थीं पर इस घटना के बाद तो वे उस सातवीं रानी से बहुत जलने लगीं और उसको मारने का जाल रचने लगीं। अपने इस काम को पूरा करने के लिये उनको जल्दी ही मौका मिल गया।

एक दिन वे सब नदी में नहाने जा रही थीं तो उन लोगों ने यह तय किया कि वे उस सातवीं रानी को पानी में धक्का दे देंगीं और राजा को बोल देंगीं कि वह अचानक पानी में डूब गयी। अपने इस प्लान के अनुसार जब वे गहरे पानी के पास पहुँचीं तो उन्होंने उसको पानी में एक ज़ोर का धक्का दे दिया। रानी पानी में डूब गयी।

जब राजा ने यह सुना तो राजा तो दुख से पागल सा हो गया। काफी समय तक तो वह अपना राज काज भी न सँभाल सका। उसने अपने आपको एक कमरे में बन्द कर लिया और किसी से मिलता जुलता भी नहीं था।

पर किस्मत ने रानी की मौत अभी नहीं लिखी थी। वह सातवीं रानी मरी नहीं थी जैसा कि दूसरे लोगों ने सोच लिया था। जहाँ उसको डुबोया गया था वहाँ नीचे एक छिपा हुआ टापू था जिस पर एक बहुत बड़ा पेड़ उगा हुआ था।

वह उस टापू तक तैर गयी और फिर उस पेड़ के ऊपर चढ़ गयी। वहाँ उसका दोस्त कौआ बराबर उसको खाना खिलाता रहा। कुछ हफ्ते बाद एक दिन राजा सैर सपाटे के लिये अपनी नाव में उस नदी में निकला तो वह उस पेड़ के पास से गुजरा। कौआ लड़की ने उसका देखा तो वह वहीं से चिल्लायी — “राजा ने अन्यायपूर्वक मुझे बाँध लिया है। आओ मेरे प्यारे राजा इधर देखो।”

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राजा ने जहाँ से आवाज आ रही थी उधर देखा तो अपनी रानी को देख कर तो वह बहुत खुश हुआ। उसने तुरन्त ही उसको पेड़ पर से उतार कर अपनी नाव में बिठा लिया और अपने महल ले गया। वहाँ जा कर रानी ने राजा को वह सब बताया जो कुछ उसके साथ हुआ था।

जब राजा ने मामले की सचाई सुनी तो उसने तुरन्त ही अपनी छहों रानियों को मारने की सजा सुना दी।

(सुषमा गुप्ता)

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