Hongman Daavat: Chinese Folk Tale

China Folktales in Hindi – चीनी लोक कथाएँ

होंगमन दावत: चीनी लोक-कथा
होंगमन प्राचीन काल में छिन राजवंश की राजधानी श्यान यांग के उपनगर में स्थित है, जो आज के पश्चिमोत्तर चीन के शानशी प्रांत की राजधानी शीआन के अधीन लिनथोंग नगर के शिनफ़ंग कस्बे में होंगमनपु गांव में स्थित है। ईसा पूर्व साल 206 में होंगमन दावत का आयोजन किया गया था, जिसमें तत्कालीन छिन राजवंश की विरोधी दो सेनाओं के सेनापतियों श्यांग यु और ल्यू पांग ने भाग लिया। इस दावत का छिन राजवंश के अंत में हुए किसान युद्ध, श्यांग यु और ल्यू पांग के बीच हुए युद्ध पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इस दावत को अप्रत्यक्ष तौर पर श्यांग यु की हार और ल्यू पांग की विजय और बाद में ल्यू पांग के हान राजवंश की स्थापना का मुख्य कारण माना जाता है।

ईसा पूर्व 221 में चीन के प्रथम एकीकृत सामंती राजवंश छिन राजवंश की स्थापना हुई। लेकिन चीन के एकीकरण के बाद छिन राजवंश के सम्राट छिन श हुआंग बेहद तनाशाही, निरंकुश और अहंकार से भरा निकला। अपने सुखभोग के लिए छिन शहुआंग ने बेशुमार धन दौलत खर्च कर आलीशान राजमहल और मकबरा बनवाया और हूणों के आक्रमण को रोकने के लिए लम्बी दीवार का निर्माण करवाया।

छिन राजवंश के शासक प्रजा का बहुत शोषण और अत्याचार करते थे, जिससे प्रजा में उसके विरूद्ध विद्रोह भड़क उठा। इस तरह अपने साम्राज्य की स्थापना के 15 सालों के बाद ही छिन राजवंश का तख्ता पलट दिया गया और राज्य सत्ता छीनने के लिए उसमें मुख्यतः दो शक्तिशाली सेनाएं रह गईं:एक सेना प्राचीन चीन के मशहूर राजा श्यांग यु की थी और दूसरी सेना उपरांत के हान राजवंश के संस्थापक ल्यू पांग की थी।

See also  Part V – Many Masters – Story #85

दोनों सेनाओं के बीच राज्य सत्ता छीनने के लिए भीषण युद्ध चले। शुरू-शुरू में श्यांग यु की सेना बहुत सशक्त थी। राजा श्यांग यु एक बहादुर योद्धा था, लेकिन वह बहुत घमंडी और तानाशाही भी था। जबकि ल्यु पांग शुरू में एक छोटे पद का अधिकारी था। वह स्वभाव में चालाक था, पर दूसरे लोगों को अपने उद्देश्य के लिए वशीभूत करने में कुशल था। पहले छिन राजवंश का तख्ता पलटने के संघर्ष में दोनों सेनाओं के बीच गठबंधन कायम हुआ था, किन्तु छिन राजवंश के खत्म होने के बाद दोनों एक दूसरे का दुश्मन हो गए। श्यांग यू और ल्यू पांग ने एक दूसरे से वादा किया कि जिसकी सेना ने सबसे पहले छिन राजवंश की राजधानी श्यान यांग पर कब्ज़ा करेगी, श्यान यांग का राजा उसी सेना का होगा।

ईसा पूर्व 207 में श्यांग यु की सेना ने च्यु लू नाम के स्थान पर छिन राजवंश की प्रमुख सेना को परास्त कर दिया, जबकि ल्यू पांग की सेना ने भी तत्कालीन छिन राजवंश की राजधानी श्यान यांग पर कब्जा कर लिया। श्यान यांग पर कब्जा करने के बाद ल्यू पांग ने अपने सलाहकार की सलाह के अनुसार शहर के निकट पा शांग, जो आज के पश्चिमोत्तर चीन के शानशी प्रांत की राजधानी शीआन के पूर्व में स्थित है, पर सेना तैनात की और श्यान यांग शहर में प्रवेश नहीं करने दिया। उसने छिन राजवंश के राजमहल और खजाने को सील करने का आदेश दिया और प्रजा को सांत्वना देने का काम किया, जिससे प्रजा शांत और खुश हो गई और चाहती थी कि ल्यू पांग छिन राज्य का राजा बने।

श्यांग यु को जब पता चला कि ल्यू पांग उससे पहले श्यान यांग शहर में प्रवेश कर चुका है, तो उसे अत्यन्त आक्रोश आया। वह चार लाख सैनिकों की विशाल सेना लेकर श्यान यांग शहर के निकट होंगमन नाम के स्थान पर तैनात हो गया और बल प्रयोग से श्यान यांग शहर को छीनने के लिए तैयार हो गया। श्यांग यु के सैन्य सलाहकार फ़ान जंग ने श्यांग यु को इस मौके पर ल्यू पांग का विनाश करने की सलाह दी। उसने कहा कि ल्यू पांग एक लोभी और विलासी आदमी है, लेकिन इस बार श्यान यांग पर कब्जा करने के बाद उसने वहां से एक भी पैसा नहीं लिया और एक सुन्दरी भी नहीं चाही। इससे जाहिर है कि वे अब बड़ा महत्वाकांक्षी बन चुका है। उसके ज्यादा मजबूत न होने की स्थिति में खत्म करना चाहिए।

See also  Vidrohi

खबर ल्यू पांग तक पहुंची। उसके सलाहकार चांग ल्यांग ने ल्यू पांग को सलाह देते हुए कहा कि अब ल्यू पांग की सेना में सिर्फ़ एक लाख सैनिक हैं, उसकी शक्ति श्यांग यु से बहुत कमज़ोर है, इसलिए उसके लिए श्यांग यु से साधा मोर्चा लेना उचित नहीं है।

चांग ल्यांग ने अपने मित्र, श्यांग यु के ताऊ श्यांग पो से मदद मांगी। इसके साथ साथ ल्यू पांग अपने सलाहकार चांग ल्यांग और अपनी सेना में कुछ जनरलों का नेतृत्व कर होंगमन पहुंचे और श्यांग यू को बताया कि वह खुद श्यान यांग शहर की रक्षा कर रहा है और यहां रहकर श्यांग यू के आने के बाद राजा बनने का इंतज़ार कर रहा है। श्यांग यू को ल्यू पांग की बात पर भरोसा किया और होंगमन पर ल्यू पांग को एक दावत देने का निश्चय किया।

लेकिन वास्तव में श्यांग यू ने दावत में ल्यू पांग को मार डालने की साजिश रची । दावत में ल्यू पांग के साथ उसके सलाहकार चांग ल्यांग और जनरल फ़ान ख्वाई थे। दावत के दौरान ल्यू पांग ने श्यांग यु को विनम्रता से कहा कि छिन राजवंश की राजधानी श्यान यांग पर कब्जा करने के बाद वह महज शहर पर पहरा दे रहा है और श्यांग यु के छिन का राजा बनने की प्रतीक्षा में है। श्यांग यु ल्यू पांग के धोखे में आ गया और उसके साथ अच्छा बर्ताव करने लगा।

दावत के दौरान श्यांग यु के सैन्य सलाहकार फ़ान जंग ने कई बार श्यांग यु को इशारा दे देकर उसे ल्यू पांग को मार डालने का गोपनीय संकेत दिया, लेकिन श्यांग यु ने न देख पाने का स्वांग किया। लाचार होकर फ़ान जंग ने श्यांग यु के एक जनरल श्यांग च्वांग को दावत में बुलाकर तलवार की कला दिखाने की आड़ में ल्यू पांग को मार डालने का प्रबंध किया। इस नाजुक घड़ी में श्यांग यु के ताऊ, यानी ल्यू पांग के सैन्य सलाहकार चांग ल्यांग के मित्र श्यांग पो ने भी आगे आकर तलवार की कला दिखाने के बहाने अपने शरीर से श्यांग च्वांग के वार को रोकने की कोशिश की, जिससे श्यांग च्वांग को ल्यू पांग को मारने का मौका हाथ नहीं लगा। खतरनाक स्थिति में चांग ल्यांग ने तुरंत ल्यू पांग के जनरल फ़ान ख्वाई को मदद के लिए बुलाया। फ़ान ने तलवार और ढाल उठाकर दावत में घुस कर बड़े गुस्से में श्यांग यु की आलोचना करते हुए कहा:“ल्यू पांग ने श्यान यांग शहर पर कब्जा कर लिया है, पर उसने खुद को छिन राज्य का राजा घोषित नहीं किया और महाराज आपके आने की राह देखता रहा, इस प्रकार के योगदान के लिए आपने उसे इनाम तो नहीं दिया, फिर दुष्टों की बातों में आकर उसे मार डालने की सोची। यह कैसा न्याय है।”

See also  Jiddi Patni : Lok-Katha (Canada)

फ़ान ख्वाई की बातों पर श्यांग यु को बड़ी शर्म आयी। इस मौके का लाभ उठाकर ल्यू पांग शौचालय जाने का बहाना बनाकर वहां से भाग गया और दावत में भागीदार अन्य जनरल के साथ पा शांग स्थित अपनी सेना के शिविर में वापस लौटा।

उधर श्यांग यु के सलाहकार फ़ान जंग ने जब देखा कि श्यांग यु ने इतने दयालु और नरम दिल का परिचय देकर ल्यू पांग को भागने का मौका दिया, तो बड़े गुस्से में कहा:“श्यांग यु कोई महत्वाकांक्षी व्यक्ति नहीं है। इंतजार करो ल्यू पांग जरूर पूरे देश पर कब्जा करेगा।”

होंगमन स्थान पर हुई दावत की यह कहानी चीन के इतिहास में बहुत मशहूर है। श्यांग यु ने अपनी सेना के शक्तिशाली होने के घमंड में ल्यू पांग पर विश्वास किया और उसे जिन्दा भागने दिया। इसके बाद श्यांग यु ने खुद को पश्चिमी छु यानी शी छू का राजा घोषित किया, जिसका स्थान सम्राट के बराबर था। उसने ल्यू पांग को सुदूर क्षेत्र में“हान राजा”नियुक्त किया, जो स्थानीय राजा के तुल्य था। अपनी शक्ति को सुरक्षित रखने के लिए ल्यू पांग ने श्यांग यु को शासक मान लिया। लेकिन गुप्त रूप में वह विभिन्न प्रतिभाशाली लोगों को अपने पक्ष में लाने और अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रहा था। अंत में ल्यू पांग की सैन्य शक्ति श्यांग यु से भी मजबूत हो गयी। एक बार श्यांग यू अपनी सेना का नेतृत्व कर दूसरे छोटे राज्य पर आक्रमण करने बाहर निकला, तो ल्यू पांग इस मौके का लाभ उठाकर श्यांग यू के शी छू राज्य की राजधानी श्यान यांग पर हमला कर उस पर कब्ज़ा कर लिया। इस तरह श्यांग यू और ल्यू पांग दोनों के बीच चार साल तक युद्ध चला। इसे चीनी इतिहास में“छू हान का युद्ध”कहा जाता है। छू राज्य की सेना ने अधिक शक्तिशाली होने की वजह से कई बार हान राज्य की सेना को हराया। लेकिन श्यांग यू का स्वभाव क्रूर था और इसके नेतृत्व वाली सेना किसी जगह पर कब्जा करने के बाद हत्या और आगजनी करती थी, इस तरह श्यांग यू की सेना का जनता समर्थन नहीं करती थी। धीरे-धीरे श्यांग यू के शी छू राज्य की सेना शक्तिशाली से कमज़ोर हो गयी। उधर ल्यू पांग जनता का समर्थन हासिल करने के लिए प्रयासरत था। वह सुयोग्य व्यक्तियों का इस्तेमाल करने में निपुण था। ल्यू पांग की शक्ति शक्तिशाली होने लगी और अंत में उसने श्यांग यू को हरा दिया।

See also  The Bell-Deep by Hans Christian Andersen

ईसा पूर्व 202 में ल्यू पांग की सेना ने काइ श्या, यानी आज के पूर्वी चीन के आनहुइ प्रांत की लिंगपी कांउटी के दक्षिण में स्थित जगह, पर श्यांग यु की सेना को घेरकर खत्म कर दिया। वहां श्यांग यु ने आत्महत्या कर ली। अंत में ल्यू पांग ने चीन के हान राजवंश की स्थापना कर खुद को सम्राट घोषित किया। हान राजवंश चीन के इतिहास में दूसरा एकीकृत सामंती राजवंश था।

Leave a Reply 0

Your email address will not be published. Required fields are marked *