Gora Khargosh: Lok-Katha (Kerala)

गोरा खरगोश: केरल की लोक-कथा
सागर के किनारे एक खरगोश रहता था। वह खरगोश सबसे सफ़ेद था इसलिए सब उसे “गोरा खरगोश” कहते थे। उस खरगोश को दूसरे देशों को देखने की बहुत लगन थी।

एक दिन उस खरगोश ने एक चिड़िया से पूछा-चिड़िया रानी! तुम किस देश से आई हो? वहाँ तुमने क्या-क्या देखा?

चिड़िया बोली-मैं दूर केरल देश से आई हूँ। वहाँ विभिन्‍न प्रकार की चीज़ें हैं। बहुत से आदमी हैं। वहाँ की राजकुमारी बहुत सुंदर है।
यह सुनकर खरगोश ने सोचा-एक-न-एक दिन मैं उस देश ज़रूर जाऊँगा।
सागर में रहने वाला एक मगरमच्छ खरगोश का मित्र था। खरगोश ने मगरमच्छ से केरल की राजकुमारी के बारे में पूछा।

मगरमच्छ बोला-हाँ, मैंने राजकुमारी को देखा है। वह परम सुंदरी है। शीघ्र ही उसका विवाह होने वाला है। खरगोश उत्सुकता से बोला-मगर भाई! जब तुम उस देश जाओगे तो मुझे भी अपने साथ ले चलना।
मगर ने कहा-ना बाबा ना, तुम्हारे माता-पिता नाराज़ होंगे। मैं नहीं ले जा सकता तुम्हें।

यह सुनकर खरगोश निराश हो गया। वह दूसरे देश जाने का उपाय सोचने लगा। अगले दिन गोरा खरगोश मगर के पास पहुँचा और बोला- क्या तुम जानते हो हमारा परिवार कितना बड़ा है? हमारे परिवार में कुल आठ सौ पचास खरगोश हैं। तुम्हारे परिवार में कितने मगरमच्छ हैं।
मगर बोला-मेरा परिवार भी बहुत बड़ा है, किंतु मैंने कभी गिना नहीं कि कितने मगमच्छ हैं।
गोरा खरगोश चालाकी से बोला–तुम अभी सारे मगरमच्छों को बुलाओ) मैं उन्हें गिनूँगा।

खरगोश की बात मानकर मगर पानी में गया। कुछ देर बाद सागर में चारों ओर मगरमच्छ ही मगरमच्छ दिखाई देने लगे। गोरा खरगोश बोला-ऐसे तो मैं गिन नहीं पाऊँगा। यदि ये पंक्ति बना लें तो गिनना आसान होगा।

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सब मगरमच्छ एक पंक्ति में खड़े हो गए। खरगोश एक-एक मगरमच्छ पर कूदकर गिनने लगा–एक, दो, तीन, चार, पाँच, छह, सात… ।

इस तरह एक-एक मगरमच्छ को गिनते-गिनते वह सागर के दूसरी ओर पहुँच गया। बोला-मगर भाई! तुम्हारा परिवार भी बहुत बड़ा है।
लेकिन मैं अब केरल देश पहुँच गया हूँ तो यहाँ घूमकर ही घर लौटूँगा। तुम मेरे माता-पिता को बता देना।

यह कहकर गोरा खरगोश उछलता-कूदता केरल देश की ओर बढ़ा। रास्ते में उसे चार राजकुमार मिले। वे उस देश की राजकुमारी से विवाह करना चाहते थे। गोरा खरगोश उनसे बोला-मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा। मैं राजकुमारी को देखना चाहता हूँ।

खरगोश की बात सुनकर चारों राजकुमार हँस पड़े। एक राजकुमार बोला–यदि राजकुमारी से मिलना चाहते हो तो पहले नदी में स्नान करके मिट्टी में लोटना पड़ेगा।

यह कहकर राजकुमार आगे बढ़ गए। खरगोश झट से नदी में नहाया और मिट्टी में लेटा। लेकिन ये क्या? अब तो वह बहुत काला और भद्दा लग रहा था। वह ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा। तभी सबसे छोटा राजकुमार वहाँ से गुजरा। खरगोश ने उसे सारी बात बताई।

छोटा राजकुमार खरगोश को नदी पर ले गया। उसे अच्छी तरह नहलाया। अब गोरा खरगोश बहुत सुंदर दिखने लगा। फिर वे दोनों राजकुमारी से मिलने चल पड़े।

राजकुमारी बगीचे में बैठी थी। गोरा खरगोश राजकुमारी को देखकर बहुत खुश हुआ। उसने अपने आने की और दयालु राजकुमार की सारी बातें राजकुमारी को बताईं।

राजकुमारी ने छोटे राजकुमार को पसंद कर लिया। उनका विवाह बहुत धूमधाम से हुआ। गोरा खरगोश वहीं उनके पास रहने लगा।

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(डॉ. मधु पंत, गीता गौतम)

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