Do Chatur: Lok-Katha (Jharkhand)

Jharkhand Folktales in Hindi – झारखण्ड की लोक कथाएँ

दो चतुर: झारखण्ड/मुंडारी लोक-कथा
एक गाँव में एक बूढ़ा अपनी बुढ़िया के साथ रहता था। काफी उम्र हो जाने पर उनके दो बच्चे पैदा हुए। एक दिन किसी बात पर बूढ़ा और बुढ़िया झगड़ पड़े। बुढ़िया दोनों बच्चों को लेकर रातों-रात मायके चली गई।

सवेरे बूढ़ा सोकर उठा तो पाया कि बुढ़िया और बच्चे गायब हैं। वह गुस्से में आकर उन्हें खोजने के लिए लाठी लेकर घर से निकला और बुढ़िया के मायके की ओर चल पड़ा।

बहुत दूर जाने पर उसे एक पंडित मिला। वह पोथी पढ़ रहा था। बूढ़े ने पंडित से पूछा, “भाई, क्‍या आपने तीन लोगों को दो ही पैरों से इधर जाते हुए देखा है?”

पंडित की समझ में बूढ़े की बात नहीं आई। उसने बहाना बनाकर कहा, “मैं जिंदा आदमियों से क्‍या बात करूँ और देखूँ, मैं तो मरे हुए लोगों से ही बात करता हूँ। इसलिए मैं किसी को जाते हुए नहीं देख सका।”

एक-दूसरे की पहेलीनुमा बातों से दोनों चकित हो गए थे। बूढ़े ने कहा, “आप मरे हुए लोगों से कैसे बात करते हैं? हम दोनों एक-दूसरे की बातों का अर्थ समझ लें तो अच्छा हो।”

पंडित ने कहा, “जिस समय आपने मुझसे पूछा, उस समय मैं पोथी पढ़ रहा था। पोथी में मरे हुए लोगों की कहानी लिखी हुई थी।”

पंडित की बात बूढ़े की समझ में आ गई। तब पंडित ने पूछा, “बूढ़े बाबा, आपकी बात मेरी समझ में नहीं आई। तीन लोग दो पैरों से कैसे चल सकेंगे? यह कैसे संभव है?”

See also  Vivshata : Lok-Katha (Sikkim)

बूढ़े ने बताया, “मेरी स्त्री अपने एक बच्चे को गोद में और दूसरे को पीठ में बाँध कर चली गई है।”
पंडित ने बूढ़े की बुद्धि पर विस्मित होते हुए सोचा कि इसने ठीक ही तो कहा।

दोनों का विस्मय मिट गया। पंडित को प्रणाम करके बूढ़ा आगे बढ़ गया। अपनी पत्नी और बच्चों को अपने घर लौटा लाया और आनंवपूर्वक रहने लगा।

(सत्यनारायण नाटे)

Leave a Reply 0

Your email address will not be published. Required fields are marked *