Chatori Bhanumati: Andhra Pradesh Folk Tale in Hindi
चटोरी भानुमती: आंध्र प्रदेश की लोक कथा
वारंगल के समीप एक छोटे से गांव में रामलिंग नाम का एक किसान रहता था। उसकी पत्नी को मरे हुए दो साल हो गए थे। घर में काम करने वाला कोई न था। अतः उसे भानुमती को नौकरानी रखना पड़ा।
भानु एक अच्छी नौकरानी थी। घर की साफ सफाई पशुओं का भोजन कपड़े बर्तन आदि सँभालने में निपुण थी। समस्या केवल एक ही थी। वह बहुत चटोरी थी।
अक्सर रसोईघर में छिपकर कुछ न कुछ खाती रहती थी। रामलिंग ने उसे एक-दो बार रंगे हाथों पकड़ा पर भानु पर कोई असर नहीं हुआ। वह साफ झूठ बोलकर बच निकलती। अंत में तंग आकर रामलिंग ने उससे कहा, ‘अगर आज के बाद मैंने तुम्हें चोरी से कोई चीज खाते पकड़ लिया तो नौकरी से निकाल दूंगा।
नौकरी जाने के भय से भानु थोड़ा सँभल गई। एक दिन रामलिंग अच्छी नस्ल का ‘जहाँगीर’ आम लाया। उसका दोस्त अनंत आने वाला था। उसने भानुमती को बुलाया-सुनो इस आम का छिलका उतारकर टुकड़ों में काट दो। दोनों दोस्त मजे से खाएँगे।”
भानुमती को आम बेहद पसंद थे। मन को लाख समझाने के बावजूद वह रुक न सकी। आम के टुकड़े चखते-चखते पूरा आम ही खत्म हो गया। तभी रामलिंग की आवाज सुनाई दी, ‘भानुमती, आम काटकर ले आ। अनंत आता ही होगा।’
अब तो भानुमती की आँखों के आगे अँधेरा आ गया। उसे नौकरी जाने की चिंता होने लगी। तभी उसे एक योजना सूझी। उसने रामलिंग से कहा, मालिक चाकू की धार बना दो। आम का छिलका बारीक नहीं उतर रहा।
रामलिंग चाकू की धार बनाने लगा। दरवाजे पर अनंत आ पहुँचा। भानुमती उसे एक कोने में ले जाकर बोली, ‘लगता है मालिक तुमसे नाराज हैं। चाकू की धार बनाते-बनाते बुड़बुड़ा रहे थे कि ‘आज तो अनंत की नाक ही काट दूँगा।’
अनंत ने भीतर से झाँककर देखा। रामलिंग मस्ती में गाना गुनगुनाते हुए चाकू तेज कर रहा था। बस फिर क्या था, अनंत सिर पर पाँव रखकर भागा।
भानुमती ने रामलिंग से कहा, ‘मालिक आपका दोस्त मुझसे आम छीनकर भाग गया।’
रामलिंग चाकू हाथ में लिए, अनंत के पीछे तेजी से भागा। अनंत और भी तेज दौड़ने लगा। रामलिंग चिल्ला रहा था-
‘रुक तो जा भई, कम से कम आधा काट के दे जा।’
अनंत ने सोचा कि रामलिंग आधी कटी नाक माँग रहा है। वह बेचारा दोबारा कभी उस तरफ नहीं आया। रामलिंग भी थक-हारकर लौट आया।
स्वादिष्ट आम हजम कर जाने वाली भानुमती अगली चोरी की तैयारी में जुट गई।
(रचना भोला)