Ashcharyajanak Bansuri Vadak : Lok-Katha (Canada)

Canada Folktales in Hindi – कैनेडा की लोक कथाएँ

आश्चर्यजनक बाँसुरी वादक : लोक-कथा (कैनेडा)
यह एक कहानी ही नहीं है बल्कि यह एक सच्ची घटना है जो आज से 200 साल से भी ज़्यादा पुरानी है।

केप ब्रैटन में एक बार एक बहुत ही गरीब आदमी रहा करता था। उसकी पत्नी एक बेटे को छोड़ कर मर गयी थी। इसके बाद उसने एक अमीर विधवा से शादी कर ली।

उस स्त्री के अपने भी दो बेटे थे। वह स्त्री अपने बेटों को तो बहुत प्यार करती थी पर उस सौतेले बेटे को वह बहुत तंग करती थी।

वह उस सौतेले बेटे को रसोईघर में ही खाना देती थी और उसको सारा दिन वहीं रखती थी जबकि उसके अपने बेटे खाने के कमरे में खाना खाते थे और फिर इधर उधर खेलते थे। उस स्त्री के अपने बेटों को बाँसुरी बजाने का बहुत शौक था और वे बाँसुरी बजाते भी अच्छी थे सो उसने उनको दो नयी बढ़िया बाँसुरी ला कर दे दी थीं।

इस सौतेले बेटे को भी बाँसुरी बजाने का बहुत शौक था पर उसके पास एक बहुत ही पुरानी बाँसुरी थी और एक बहुत पुरानी धुन। उसको भी वह अच्छी तरह बजा नहीं पाता था।

एक बार वह सौतेला बेटा जानवर चरा रहा था और अपनी पुरानी बाँसुरी पर पुरानी धुन निकालने की कोशिश कर रहा था कि इतने में उसने देखा कि एक बहुत ही सुन्दर परियों के राजकुमार जैसा सुन्दर आदमी चला आ रहा है।

उसने इस सौतेले बेटे से पूछा — “क्या तुम अपने भाइयों की तरह बाँसुरी बजाना सीखना चाहते हो?”

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सौतेला बेटा बोला “हाँ”।

वह परियों वाला आदमी बोला — “अच्छा तो तुम अपनी उँगलियाँ मेरे मुँह में रखो।” उसने ऐसा ही किया।

उस आदमी ने कहा — “अब तुम अपनी बाँसुरी बजाओ।” उसने फिर अपनी बाँसुरी बजायी।

पर यह क्या? उस बाँसुरी में से तो इतनी मीठी धुनें निकलने लगीं कि हवा बहना रुक गयी, मछलियाँ तैरना भूल गयीं, जानवर चरना छोड़ कर उसके पास आ कर खड़े हो गये। पक्षी अपने अपने घोंसले छोड़ कर उसके चारों तरफ आ कर बैठ गये।

कुछ देर बाद वह घर आ गया। घर आ कर उसने किसी से कुछ नहीं कहा और जा कर रोज की तरह रसोईघर में बैठ गया। अगले दिन एक आदमी उनके घर आया और कहने लगा कि वह उन दोनों भाइयों में से एक को अपने स्टीमर पर बाँसुरी बजाने की नौकरी देना चाहता था इसलिये वह उन दोनों का बाँसुरी वादन सुनना चाहता था।

जब वह उन दोनों का बाँसुरी वादन सुन चुका तो उसकी निगाह रसोईघर में बैठे उस सौतेले बेटे पर पड़ी। उसने उन दोनों बेटों की माँ से पूछा कि रसोई घर में बैठा वह लड़का कौन था।

माँ बोली — “ओह वह लड़का? वह तो हमारे जानवर चराता है।”

वह आदमी बोला — “लगता है कि वह भी बाँसुरी बजाता है क्योंकि मुझे उसके हाथ में भी बाँसुरी दिखायी दे रही है। क्या मैं उसकी बाँसुरी सुन सकता हूँ?”

माँ बोली — “हाँ हाँ क्यों नहीं, वह बाँसुरी बजाता तो है पर वह अभी ठीक से नहीं बजा पाता है। उसकी बाँसुरी में से तो बस केवल शोर ही निकलता है।”

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आदमी बोला — “फिर भी मैं उसकी बाँसुरी सुनना चाहूँगा।” लड़के को बुलाया गया और उसको बाँसुरी बजाने को कहा गया तो उसने बाँसुरी बजानी शुरू की।

उसने इतनी ज्यादा मीठी बाँसुरी बजायी कि उसकी सौतेली माँ को भी मानना पड़ा कि वह उसके अपने बेटों से भी ज़्यादा अच्छी बाँसुरी बजाता है।

उस लड़के की बाँसुरी सुन कर उस आदमी ने उस लड़के को अपने स्टीमर पर बाँसुरी बजाने की नौकरी दे दी। और अब वह उस आदमी के स्टीमर पर लोगों के लिये बाँसुरी बजाने लगा।

एक दिन जब वह स्टीमर धरती के किनारे से 18–20 मील दूर था कि उसमें पानी आने लगा। स्टीमर का कप्तान घबरा गया। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।

लड़का बोला — “तुम घबराओ मत, मैं एक ऐसी धुन बजाऊँगा जिसे सुन कर किनारे के लोगों को पता चल जायेगा कि हम लोगों पर कोई मुसीबत आ पड़ी है और वे हमारी सहायता का कोई न कोई इन्तजाम जरूर करेंगे।”

यह कह कर वह जहाज़ के डैक पर चढ़ गया और ऐसी दुख भरी धुन बजायी कि कुछ ही देर में किनारे वाले लोगों ने एक दूसरा स्टीमर उनकी सहायता के लिये भेज दिया।

कप्तान यह देख कर बहुत खुश हुआ और उसने उस लड़के को बहुत सारा इनाम दिया।

इस घटना के बाद से वह बच्चों को बाँसुरी बजाना सिखाने लगा। और तभी से उस घाटी का नाम पाइपसग्लैन पड़ गया।

(अनुवाद : सुषमा गुप्ता)

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