Allah Ki Buddhimani: Lok-Katha (Kashmir)

अल्लाह की बुद्धिमानी कश्मीरी लोक-कथा
एक बार गरमियों में गाँव में एक ऐसा आदमी आया जिसे कोई भी चीज खुश नहीं कर सकती थी। वह आराम करने के लिए अखरोट के एक पेड़ के नीचे बैठ गया। यह पेड़ हर साल खूब फल देता था और अपने मालिक के लिए यह बहुत ही कीमती था। पेड़ के आस-पास की जमीन भी कीमती थी और उसमें कद्दू के पौधे के बीज बोए हुए थे। जब वह आदमी, जिसे कोई खुश नहीं कर सकता, बैठ गया, उसने देखा कि उसके पास में ही एक अधपका कद्दू पल रहा था।

उसने अखरोट के पेड़ को देखा, फिर कद्दू की बेल को देखा।
‘ओ, अल्लाह!’ वह बोला, “तेरे तरीके भी कितने अजीब हैं! इतने बड़े पेड़ को तो तूने छोटे-छोटे फल दिए हैं और जमीन पर पड़ी कद्दू की इस बेल को इसकी शक्ति की तुलना में इतना बड़ा फल दे दिया! क्या यह ज्यादा समझदारी नहीं होती कि इसका उलटा किया जाता?!

तभी ऊपर डाली से एक अखरोट टूटकर उस बड़बड़ा रहे आदमी के नंगे सिर पर पड़ा और वह अचानक चौंक गया और अपने सिर को मलने लगा।

‘हाय अल्लाह!” वह विस्मय से बोला, ‘अब मुझे आपकी बुद्धिमानी दिखाई दे रही है। आखिरकार आप ही सही हैं। अगर अखरोट के पेड़ पर कद्दू डगाया गया होता और इतनी ऊँचाई से वह मेरे सिर पर गिरा होता तो मैं तो मर ही गया होता! अब मुझे आपकी बुद्धिमानी, महानता और शक्ति नजर आ रही हैं।’

(रस्किन बांड की रचना ‘कश्मीरी किस्सागो’ से)

Leave a Reply 0

Your email address will not be published. Required fields are marked *