Abotani Aur Kising Taming : Folk Tale (Arunachal Pradesh)

आबोतानी और किसिङ तामिङ (तागिन जनजाति) : अरुणाचल प्रदेश की लोक-कथा
किसिङ तामिङ आबोतानी की एक और पत्नी का नाम था, जो रिश्ते में मअजी यापम की बहन लगती थी। किसिङ तामिङ से विवाह करने से पहले आबोतानी और मअजी यापम के बीच बहुत अनबन चल रही थी। हुआ यह था कि आबोतानी जब अपने मिथुनों की घेराबंदी के लिए बाड़े का निर्माण कर रहे थे तो मअजी यापम अदरक का रूप धारण करके आबोतानी के समक्ष प्रकट हुई। आबोतानी ने उसे सामान्य अदरक समझकर मुँह में डाला और चबाने का प्रयत्न किया। लेकिन उनके दाँतों से खुद को बचाते हुए वह सीधे आबोतानी के शरीर के अंदर समा गई। आबोतानी जब-जब अपने मिथुनों के पास जाते तो मअजी यापम बाहर आकर सारे मिथुनों को खा जाती थी। इस तरह एक-एक करके मअजी यापम आबोतानी के सारे मिथुनों को अपना आहार बना रही थी। अंत में आबोतानी ने सोचा कि यदि ऐसे ही चलता रहा तो अपने सारे मिथुनों से वह हाथ धो बैठेंगे। इसलिए उन्होंने तय किया कि उसकी बहन किसिङ तामिङ से विवाह करके उसे अपना रिश्तेदार बनाया जाए। इस प्रकार आबोतानी ने किसिङ तामिङ से विवाह कर लिया।

विवाह के पश्चात् किसिङ तामिङ की शारीरिक अवस्था बिगड़ती गई। उसका शरीर दिन-प्रति-दिन ढलता जा रहा था। आबोतानी रोज उसे पौष्टिक आहार खिलाते, पर उसकी शारीरिक अवस्था में कोई सुधार नहीं आ रहा था। एक दिन किसिङ तामिङ ने आबोतानी से कहा कि तुम्हारे इस भोजन से मैं कभी स्वस्थ नहीं हो सकती। मुझे मेरे मायके से लाए गए खाद्य-पदार्थ ही ठीक कर सकते हैं। इसलिए तुम मेरे मायके जाओ और वहाँ से मेरे लिए भोजन लेकर आओ। पत्नी के कहे अनुसार आबोतानी किसिङ तामिङ के घर गए, वहाँ उनके परिजनों से मिले और किसिङ तामिङ की शारीरिक अवस्था के विषय में विस्तार से बताया। मअजी यापम सहित सबने कहा कि किसिङ तामिङ के लिए विशेष भोजन की आवश्यकता है। उस विशेष भोजन के लिए उन्हें जंगल जाना था, शिकार के लिए। आबोतानी भी साथ चल दिए।

आबोतानी एक कोने में छिप गए—शिकार के लिए। थोड़ी देर बाद उन्होंने देखा कि एक इनसान उनके सामने से निकल गया। आबोतानी ने उसका कुछ नहीं किया और न ही उससे कुछ पूछा। वह निकल गया। थोड़ी देर बाद मअजी यापम और उसके सभी भाई-बंधु भी आ गए। सबने आबोतानी से पूछा कि उन्होंने किसी प्राणी को यहाँ से गुजरते हुए तो नहीं देखा। आबोतानी ने उत्तर दिया कि ‘मैंने कुछ नहीं देखा। यहाँ से तो केवल एक आदमी गया है, अभी-अभी। तब मअजी ने कहा कि ‘अरे! उसी को तो मारने के लिए हम उसका पीछा कर रहे हैं। तुमने उसे जाने क्यों दिया?’ यह सुनकर आबोतानी के आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही। उनके मन में शंका जगी, ‘ये लोग इनसान का शिकार करते हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि ये लोग किसिङ तामिङ को इनसानी मांस खिलानेवाले हैं।’ परंतु अपनी सारी शंकाओं और प्रश्नों को उन्होंने अपने मन के भीतर दबाकर रखा। मअजी अपने भाइयों सहित उस आदमी को पकड़ने के लिए तेजी से आगे निकल गई और आबोतानी को वहीं रुकने को कहा।

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अगली सुबह आबोतानी के लौटने का वक्त आ गया। लौटने से पहले किसिङ तामिङ के परिजनों ने ताकु (एक स्थानीय वृक्ष, जिसके लंबे-पतले पत्तों से स्थानीय दरी बनाई जाती है) से बनी दो-तीन पोटलियाँ आबोतानी को सौंप दीं और कहा कि इन्हें किसिङ तामिङ के नासू अर्थात् धान्यागार में रख देना। आबोतानी ने वैसा ही किया, जैसा उन लोगों ने कहा। वह उन पोटलियों को लेकर अपने घर लौट आए और उन्हें धान्यागार में रख दिया। आबोतानी ने बहुत प्रयास किया—यह देखने के लिए कि उन पोटलियों के अंदर क्या है, परंतु वह उन्हें खोल नहीं पाए। किसिङ तामिङ प्रतिदिन अपने धान्यागार जाती और उस पोटली में से कुछ निकाल-निकाल कर खाती। देखते-ही-देखते उसके स्वास्थ्य में एकदम से सुधार आने लगा और वह फिर से पहले जैसी तंदुरुस्त होने लगी। आबोतानी इस रहस्य को बिल्कुल भी नहीं समझ पाए। एक दिन वह धान्यागार की ओर गए। वहाँ जाकर उन्होंने देखा—उस पोटली को चूहों ने कुतर-कुतर कर उसमें सुराख बना दिया है। उसी सुराख में से एक चूहा इनसानी उँगली लेकर बाहर आया। उस उँगली को देखकर आबोतानी को समझने में देर नहीं लगी कि यह उसी आदमी की उँगली है, जिसे वह जंगल में शिकार करने के दौरान देख चुके हैं। आबोतानी ने यह भी समझ लिया कि उनकी पत्नी किसिङ तामिङ उसी इनसान का मांस खाकर फिर से सेहतमंद हो गई है। अब उन्हें चिंता सताने लगी कि क्या किया जाए। जिस स्त्री से उनका विवाह हुआ, वह तो इनसान का मांस खाती है। सत्य जानने के बावजूद वह अपने पत्नी के साथ रहने के लिए विवश थे।

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आबोतानी ने मन बना लिया था कि किसी भी परिस्थिति में उन्हें अपनी पत्नी के साथ रहना है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से किसिङ तामिङ के परिजनों की तरफ से लगातार आबोतानी के लिए बुलावा आ रहा था। आबोतानी को समझ में नहीं आ रहा था कि उन्हें क्यों बार-बार बुलाया जा रहा है? लेकिन किसिङ तामिङ समझ चुकी थी कि वह बुलावा वास्तव में उनके परिजनों द्वारा रची गई एक साजिश है, जिससे कि वे आबोतानी को मारकर अपना आहार बना सकें। ससुराल से आए न्योते को वह ठुकरा नहीं सकते थे, इसलिए आबोतानी जाने को तैयार हुए। जाने से पहले किसिङ तामिङ ने आबोतानी को समझाया कि मेरे भाई-बंधु तुम्हें जंगल में काम करने के लिए ले जाएँगे। वहाँ घर बनाने हेतु जब बड़े-बड़े पेड़ों की टहनियाँ इकट्ठी कर रहे होंगे, तब तुम्हें मारने का प्रयत्न किया जाएगा। वे जब ढलान के ऊपरी हिस्से में खड़े रहकर तुम्हारा नाम पुकारेंगे और टहनी को तुम्हारी ओर ढकेलेंगे तो तुम ‘हाँ’ कहकर उस टहनी को पकड़ लेना। दूसरी बार जब तुम्हारा नाम फिर से पुकारेंगे तो तुम ‘हाँ’ कहकर ढलान में बनी गुफा में छिप जाना, क्योंकि इस बार वे सारी टहनियों को एक साथ तुम्हारे ऊपर फेंककर तुम्हें मारने की कोशिश करेंगे।

पत्नी की बात मानकर आबोतानी ससुराल गए। वहाँ ठीक वैसा ही हुआ, जैसा किसिङ तामिङ ने आबोतानी को बताया था और आबोतानी ने भी वैसा ही किया, जैसा उन्हें समझाया गया था। आबो ने गुफा में घुसकर अपने सालों की चाल को विफल कर दिया। सारी टहनियों को आबोतानी की ओर ढकेलने के बाद सबने समझ लिया कि आबोतानी अब नहीं रहे। वे सब ढलान से नीचे उतरे और टहनियों को उठाकर-उठाकर आबोतानी की लाश को तलाशने लगे। इतने में आबोतानी गुफा से बाहर आए और कहा, “मेरे प्रिय सालो, मैं तो यहाँ हूँ और जिंदा हूँ!” आबोतानी को जिंदा पाकर सबने समझ लिया कि किसिङ तामिङ ने ही आबोतानी को सारी बातें बताई होंगीं। अपनी बहन पर सभी को बहुत गुस्सा आया।

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अगली बार फिर से आबोतानी के लिए लगातार बुलावा आने लगा। जीजाजी का कर्तव्य निभाने के लिए आबोतानी को फिर से जाना था। जाने से पहले किसिङ तामिङ ने फिर से आबोतानी को समझाया कि इस बार मेरे भाइयों की टोली तुम्हें खेत में काम कराने ले जाएगी। वहाँ खेतों में आग लगाने के बहाने तुम्हें जलाकर मारने का प्रयत्न किया जाएगा। (झूम खेती का दूसरा चरण होता है—कटे हुए पेड़-पौधों के सूख जाने के पश्चात् उन्हें जलाकर मिट्टी को धान बोने लायक उपजाऊ बनाना) तुम जब खेत के बीचो-बीच काम रहे होगे, तब वे लोग निचले हिस्से में रहकर तुम्हारा नाम दो बार पुकारेंगे। तुम दूसरी बार ‘हाँ’ कहकर खेत के बीच एक बड़ा सा गड‍्ढा है, उसमें घुस जाना, ताकि मेरे भाइयों द्वारा लगाई गई आग से बच सको।

आबोतानी एक बार फिर ससुराल आ पहुँचे। किसिङ तामिङ के परिजनों के साथ वे उनके खेत में गए। वहाँ सब कुछ ठीक वैसा ही हुआ, जैसा किसिङ तामिङ ने आबोतानी को बताया था। इस बार भी आबोतानी के ससुरालवालों ने सोच लिया कि आग की इतनी प्रचंड लपटों से आबोतानी का बचना नामुमकिन है। अतः वे सब मिलकर राख के ढेर में आबोतानी की लाश तलाशने लगे। इतने में गड्ढे में छिपे आबोतानी बाहर आए और कहा कि ‘मैं तो अब भी जिंदा हूँ।’ सब लोग फिर से अपनी बहन को कोसने लगे, जिसके कारण उनके द्वारा रची गई साजिश मिट्टी में मिल गई। इस बार भी आबोतानी उनके हाथों से बचकर निकल गए, सिर्फ किसिङ तामिङ के कारण।

आबोतानी के ससुराल वालों ने भी हार नहीं मानी। उन लोगों ने आबोतानी को फिर न्योता दिया। हमेशा की तरह किसिङ तामिङ ने आबोतानी को बताया कि इस बार उन्होंने एक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए तुम्हें बुलाया है, जिसका नाम है—‘बोबो चानम’। बोबो चानम झूला झूलने की एक प्रक्रिया है, जिसके तहत एक रस्सी में झूलते हुए बड़े-बड़े पेड़ों के ऊपर चढ़ा जाता है। तुम उस प्रतियोगिता में जरूर हिस्सा लेना, लेकिन एक बात का ध्यान रखना। मेरे भाइयों के झूला झूलते हुए चार-पाँच चरण ऊपर चढ़ने के बाद तुम केवल एक ही चरण चढ़ना, नहीं तो तुम्हारे ऊपर चढ़ने के बाद वे लोग तुम्हारी रस्सी काट देंगे और तुम गिरकर मर जाओगे। आबोतानी सारी बातें सुनने के बाद ससुराल की ओर चल पड़े। वहाँ पहुँचकर उन्होंने उस प्रतियोगिता में भाग लिया; लेकिन उनको अपनी शारीरिक शक्ति पर इतना घमंड हो गया कि उन्होंने किसिङ तामिङ की बातों को भुला दिया। अपने घमंड में वे इस कदर अंधे हो गए कि किसिङ तामिङ के भाइयों द्वारा केवल एक चरण चढ़ने पर वह पाँच-दस चरण चढ़ गए। बहुत ही कम समय में वह जमीन से बहुत ऊपर आ गए। इधर किसिंग तामिङ के भाइयों को अवसर मिल गया—आबोतानी को मारने का। पहले से ही वृक्ष के ऊपर तैनात कुछ भाइयों ने टहनी से बँधी एक रस्सी को काट दिया, जिस पर आबोतानी लटके हुए थे। एक रस्सी के कट जाने से दूसरे सिरे के सहारे आबोतानी का शरीर हवा में दूर-दूर तक झूलने लगा। हवा में झूलते हुए आबोतानी का अपने शरीर पर कोई नियंत्रण नहीं रहा। इस मौके का फायदा उठाते हुए किसिङ तामिङ के भाइयों ने आबोतानी के यिङ्गो पी और जारगो पी अर्थात् दिव्य दृष्टि और दिव्य वाणी को छीन लिया। इन दोनों के कारण आबोतानी के पास असाधारण शक्ति थी, जो आम इनसान के पास नहीं होती।

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दोनों शक्तियों के छिन जाने के कारण आबोतानी हवा में और देर झूल न सके और गहरी खाई में गिर गए। जब उनका अर्धमृत शरीर नदी की धार में बह रहा था तो आई आगम, गुङचि रियाचि आदि देवताओं ने उन्हें बचा लिया। ऐसी मान्यता है कि ये दोनों देवता मनुष्य की आत्मा के रक्षक हैं। इन दोनों के द्वारा आबोतानी को फिर से जीवनदान प्राप्त हुआ, परंतु वह अब एक साधारण इनसान बनकर रह गए थे। अपनी खोई हुई दिव्य दृष्टि और दिव्य वाणी के विषय में सलाह माँगने के लिए आबोतानी दोरी चिजि के पास गए। दोरी चिजि ने कहा कि तुम जिन शक्तियों से वंचित हो चुके हो, उन्हें दोबारा प्राप्त करना तो नामुमकिन है। आज के बाद तुम मनुष्य जाति की इसी साधारण शक्ति के साथ जिओगे और मरोगे। हाँ, एक विशेष व्यक्ति के पास ही यह शक्ति रहेगी, जो तुम जैसे साधारण मनुष्यों को मुसीबत के पलों में सहायता प्रदान करेगा। उस विशेष शक्ति-धारक व्यक्ति के सहायक होंगे—मुरगी के अंडे और चूजों की अँतड़ियाँ।

उसी दिन से तागिन समाज में मुरगी के अंडे और चूजों की अँतड़ियाँ के द्वारा भविष्यवाणी करने की विधि आरंभ हुई। इस विधि को संपन्न करनेवाला व्यक्ति ‘विशेष शक्तिधारक’ होता है, जिसे तागिन में ञ्युबु और ञ्येक्योक कहा जाता है; जिसका हिंदी अर्थ है—‘धर्मगुरु’। ञ्युबु और ञ्येक्योक ये दोनों ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके पास दिव्य दृष्टि और दिव्य वाणी हैं। इनमें से ञ्युबु का दर्जा ञ्येक्योक से थोड़ा ऊपर होता है, क्योंकि वह अपनी दिव्य शक्ति से सभी प्रकार के धार्मिक कर्मकांडों को संपन्न कराता है। भूत-प्रेत की चपेट से आजाद कराने, होनी-अनहोनी को पहले से देखने, किसी रोग का निवारण करने तथा सभी प्रकार के अनुष्ठानों को संपन्न कराने में इन्हीं धर्मगुरुओं का हाथ होता है। अतः ये विशेष शक्ति के मालिक होने के कारण साधारण मनुष्य के हितैषी बन गए और साधारण मनुष्य उन पर आश्रित होने लगे। तागिन समाज मानता है कि यदि आबोतानी ने अपनी पत्नी की बात मानी होती, तो आज हर मनुष्य उतना ही शक्तिशाली होता, जितने आज के धर्मगुरु हैं। उनके चंचल मन ने मनुष्य जाति को एक विशेष प्रकार की शक्ति से हमेशा के लिए वंचित कर दिया।

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(साभार : तारो सिंदिक)

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