Aapne Ki Chot: Lok-Katha (Haryana)

Haryana Folktales in Hindi – हरियाणवी लोक कथाएँ

आपणे की चोट: हरियाणवी लोक-कथा
एक सुनार था। उसकी दुकान के धौरे एक लुहार की दकान बी थी। सुनार जिब काम करदा, तै उसकी दुकान म्हं कती कम खुड़का हुंदा, पर जिब लुहार काम करदा तै उसकी दुकान म्हं तैं कानां के परदे फोड़ण आळी आवाज सुणाई पड़दी।

एक दिन सोने का नान्हा-सा भौरा उछळ कै लुहार की दुकान मैं जा पड़्या। उड़ै उसकी सेठ-फेट लोह के एक भोरे गेल्यां हुई।

सोने का दाणा लोह के दाणे तैं बोल्या, ‘भाई म्हारा दोनुआं का दुःख बराबर सै। हाम दोनूं एक-ए-ढाल आग में तपाये जां सै अर एक सार चोट हामने ओटणी पड़ै सै। मैं सारी तकलीफ बोल-बाला ओट ल्यूं सूं, पर तूं?’

‘‘तू सोलह आने सही सै। पर तेरे पै चोट करण आळा लोहे का हथोड़ा तेरा सगा भाई नहीं सै, अर मेरा ओ सगा भाई सै।’’ लोह के दाणे ने दुःख में भर के जवाब दिया। फेर कुछ रुक कै बोल्या ‘परायां की बजाय आपणां की चोट का दर्द घणा होया करै।’

(राजकिशन नैन)

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