हरा अंधकार

Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ

रूपाकार
सब अंधकार में हैं :
प्रकाश की सुरंग में
मैं उन्हें बेधता चला जाता हूँ,
उन्हें पकड़ नहीं पाता।

मेरी चेतना में इस की पहचान है
कि अंधकार भी
एक चरम रूपाकार है,
सत्य का, यथार्थ का विस्तार है,
पर मेरे शब्द की इतनी समाई नहीं-
यह मेरी भाषा की हार है।

प्रकाश मेरे अग्रजों का है
कविता का है, परंपरा का है,
पोढ़ा है, खरा है :
अंधकार मेरा है,
कच्चा है, हरा है।

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