सो रहा है झोंप

Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ

सो रहा है झोंप अँधियाला नदी की जाँघ पर :
डाह से सिहरी हुई यह चाँदनी
चोर पैरों से उझककर झाँक जाती है।
प्रस्फुलन के दो क्षणों का मोल शेफाली
विजन की धूल पर चुपचाप
अपने मुग्ध प्राणों से अजाने आँक जाती है।

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