साँप
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
साँप! तुम सभ्य तो हुए नहीं-
नगर में बसना भी तुम्हें नहीं आया।
एक बात पूछूँ- (उत्तर दोगे?)
तब कैसे सीखा डँसना-विष कहाँ पाया।
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
साँप! तुम सभ्य तो हुए नहीं-
नगर में बसना भी तुम्हें नहीं आया।
एक बात पूछूँ- (उत्तर दोगे?)
तब कैसे सीखा डँसना-विष कहाँ पाया।