शब्द और सत्य

Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ

यह नहीं कि मैंने सत्य नहीं पाया था
यह नहीं कि मुझको शब्द अचानक कभी-कभी मिलता है
दोनों जब-तब सम्मुख आते ही रहते हैं
प्रश्न यही रहता है :
दोनों अपने बीच जो दीवार बनाए रहते हैं
मैं कब, कैसे उनके अनदेखे
उसमें सेंध लगा दूँ
या भर विस्फोटक
उसे उड़ा दूँ?
कवि जो होंगे, हों, जो कुछ करते हैं, करें,
प्रयोजन बस मेरा इतना है
ये दोनों जो
सदा एक-दूसरे से तनकर रहते हैं,
कब, कैसे, किस आलोक-स्फुरण में,
इन्हें मिला दूँ
दोनों जो हैं बंधु, सखा, चिर सहचर मेरे।

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