मैं वह धनु हूँ

Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ

मैँ वह धनु हूँ, जिसे साधने
में प्रत्यंचा टूट गई है
स्खलित हुआ है बाण यद्यपि ध्वनि
दिग्दिगंत में फूट गई है-

प्रलयस्वर है वह, या है बस
मेरी लज्जाजनक पराजय-
या कि सफलता! कौन कहेगा
क्या उसमें है विधि का आशय!

क्या मेरे कर्मों का संचय
मुझको चिंता छूट गई है-
मैं बस जानूँ मैँ धनु हूँ, जिस
की प्रत्यंचा टूट गई है!

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