मानव अकेला
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
भीड़ों में
जब-जब
जिस-जिस से आँखें मिलती हैं
वह सहसा दिख जाता है
मानव
अंगारे सा- भगवान्-सा
अकेला।
और हमारे सारे लोकाचार
राख की युगों-युगों की परतें हैं।
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
भीड़ों में
जब-जब
जिस-जिस से आँखें मिलती हैं
वह सहसा दिख जाता है
मानव
अंगारे सा- भगवान्-सा
अकेला।
और हमारे सारे लोकाचार
राख की युगों-युगों की परतें हैं।