ब्राह्म-मुहूर्त : स्वस्तिवाचन

Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ

जियो उस प्यार में
जो मैं ने तुम्हें दिया है,
उस दुख में नहीं जिसे
बेझिझक मैं ने पिया है।

उस गान में जियो
जो मैं ने तुम्हें सुनाया है,
उस आह में नहीं जिसे
मैं ने तुम से छिपाया है।

उस द्वार से गुज़रो
जो मैं ने तुम्हारे लिए खोला है
उस अंधकार से नहीं
जिस की गहराई को
बार-बार मैंने तुम्हारी रक्षा की
भावना से टटोला है।

वह छादन तुम्हारा घर हो
जिसे मैं असीसों से बुनता हूँ, बुनूँगा;
वे काँटे-गोखरू तो मेरे हैं
जिन्हें मैं राह से चुनता हूँ, चुनूँगा।

वह पथ तुम्हारा हो
जिसे मैं तुम्हारे हित बनाता हूँ, बनाता रहूँगा;
मैं जो रोड़ा हूँ, उसे हथौड़े से तोड़-तोड़
मैं जो कारीगर हूँ, क़रीने से
सँवारता-सजाता हूँ, सजाता रहूँगा।

सागर के किनारे तक
तुम्हें पहुँचाने का
उदार उद्यम ही मेरा हो :
फिर वहाँ जो लहर हो, तारा हो,
सोन-तरी हो, अरुण सवेरा हो,
वह सब, ओ मेरे वर्य!
तुम्हारा हो, तुम्हारा हो, तुम्हारा हो।

See also  The Puppet Showman by Hans Christian Andersen
Leave a Reply 0

Your email address will not be published. Required fields are marked *