फूल की स्मरण-प्रतिमा
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
यह देने का अहंकार
छोड़ो।
कहीं है प्यार की पहचान
तो उसे यों कहो :
‘मधुर, यह देखो
फूल। इसे तोड़ो
घुमा-फिरा कर देखो,
फिर हाथ से गिर जाने दो :
हवा पर तिर जाने दो-
(हुआ करे सुनहली) धूल।’
फूल की स्मरण-प्रतिमा ही बचती है।
तुम नहीं। न तुम्हारा दान।