नीमाड़: चैत
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
1.
पेड़ अपनी-अपनी छाया को
आतप से
ओट देते
चुपचाप खड़े हैं।
तपती हवा
उन के पत्ते झराती जाती है।
2.
छाया को
झरते पत्ते
नहीं ढँकते,
पत्तों को ही
छाया छा लेती है।
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
1.
पेड़ अपनी-अपनी छाया को
आतप से
ओट देते
चुपचाप खड़े हैं।
तपती हवा
उन के पत्ते झराती जाती है।
2.
छाया को
झरते पत्ते
नहीं ढँकते,
पत्तों को ही
छाया छा लेती है।