नई व्यंजना
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
तुम जो कहना चाहोगे विगत युगों में कहा जा चुका :
सुख का आविष्कार तुम्हारा? बार-बार वह सहा जा चुका!
रहने दो, वह नहीं तुम्हारा, केवल अपना हो सकता जो
मानव के प्रत्येक अहं में सामाजिक अभिव्यक्ति पा चुका।
एक मौन ही है जो अब भी नई कहानी कह सकता है;
इसी एक घट में नवयुग की गंगा का जल रह सकता है;
संसृतियों की, संस्कृतियों की तोड़ सभ्यता की चट्टानें-
नई व्यंजना का सोता बस इसी राह से बह सकता है।