नंदा देवी-8

Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ

यह भी तो एक सुख है
(अपने ढंग का क्रियाशील)
कि चुप निहारा करूँ
तुम्हें धीरे-धीरे खुलते!
तुम्हारी भुजा को बादलों के उबटन से
तुम्हारे बदन को हिम-नवनीत से
तुम्हारे विशद वक्ष को
धूप की धाराओं से धुलते!

यह भी तो एक योग है
कि मैं चुपचाप
सब कुछ भोगता हूँ
पाता हूँ
सुखों को,
निसर्ग के अगोचर प्रसादों को,
गहरे आनंदों को
अपनाता हूँ
पर सब कुछ को बाँहों में
समेटने के प्रयास से
स्वयं दे दिया जाता हूँ!

See also  The Golden Age by James Baldwin
Leave a Reply 0

Your email address will not be published. Required fields are marked *