देखिए न मेरी कारगुज़ारी

Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ

अब देखिए न मेरी कारगुज़ारी
कि मैं मँगनी के घोड़े पर
सवारी कर
ठाकुर साहब के लिए उन की रियाया से लगान
और सेठ साहब के लिए पंसार-हट्टे की हर दूकान
से किराया
वसूल कर लाया हूँ

थैली वाले को थैली
तोड़े वाले को तोड़ा
-और घोड़े वाले को घोड़ा।

सब को सब का लौटा दिया
अब मेरे पास यह घमंड है
कि सारा समाज मेरा एहसानमंद है।

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