तुम फिर आ गए, क्वार?
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
भाले की अनी-सी बनी बगुलों की डार,
फुटकियाँ छिट-फुट गोल बाँध डोलतीं
सिहरन उठती है एक देह में
कोई तो पधारा नहीं, मेरे सूने गेह में-
तुम फिर आ गए, क्वार?
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
भाले की अनी-सी बनी बगुलों की डार,
फुटकियाँ छिट-फुट गोल बाँध डोलतीं
सिहरन उठती है एक देह में
कोई तो पधारा नहीं, मेरे सूने गेह में-
तुम फिर आ गए, क्वार?