खुल गई नाव
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
खुल गई नाव
घिर आयी संझा, सूरज डूबा सागर तीरे।
धुँधले पड़ते से जल-पंछी
भर धीरज से मूक लगे मँडलाने,
सूना तारा उगा, चमक कर, साथी लगा बुलाने।
तब फिर सिहरी हवा, लहरियाँ काँपीं,
तब फिर मूर्छित व्यथा विदा की जागी धीरे-धीरे।