काँपती है
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
पहाड़ नहीं काँपता,
न पेड़, न तराई
काँपती है ढाल पर के घर से
नीचे झील पर झरी
दिये की लौ की
नन्ही परछाईं।
Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ
पहाड़ नहीं काँपता,
न पेड़, न तराई
काँपती है ढाल पर के घर से
नीचे झील पर झरी
दिये की लौ की
नन्ही परछाईं।