काँगड़े की छोरिया

Anonymous Poems in Hindi – अज्ञेय रचना संचयन कविताएँ

काँगड़े की छोरियाँ कुछ भोरियाँ सब गोरियाँ
लालाजी, जेवर बनवा दो खाली करो तिजोरियाँ
काँगड़े की छोरियाँ।
ज्वार-मका की क्यारियाँ हरियाँ-भरियाँ-प्यारियाँ
धान खेतों में लहरें हवा की सुना रही हैं लोरियाँ
काँगड़े की छोरियाँ।
पुतलियाँ चंचल कलियाँ कानों झुमके बालियाँ
हम चौड़े में खड़े लुट गए बनी न हमसे चोरियाँ-
काँगड़े की छोरियाँ
काँगड़े की छोरियाँ, कुछ भोरियाँ, सब गोरियाँ।

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